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लक्ष्य संस्था का कवि सम्मेलन/मुशायरा संपन्न

लक्ष्य संस्था का कवि सम्मेलन/मुशायरा संपन्न
लखनऊ, यूपी महोत्सव में शायरों व कवियों की रही धूम
लखनऊ। स्थानीय ई कऻमर्शियल, पॉकेट ग्राउंड, अलीगंज, लखनऊ में चल रहे उत्तर प्रदेश महोत्सव के पण्डाल में *लक्ष्य साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान* द्वारा संस्था के 16 वर्ष पूर्ण होने पर कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन/मुशायरे का शुभारंभ कामिनी श्रीवास्तव की सुमधुर वाणी वन्दना व मनमोहन बऻरऻकोटी के कुशल संचालन से हुआ। समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार संपत कुमार मिश्रा बैसवारी ने की , मुख्य अतिथि डॉ. सुभाष गुरुदेव, विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ व्यंगकार श्याम मिश्र , डॉ. मंसूर हसन व सुनील बाजपेयी रहे।
कवयित्री रंगोली पंडित ने पढ़ा
गरीबी चढ़ गई परवऻन तो हम क्या करेंगे।
कभी घर आ जाए मेहमान तो हम क्या करेंगे।।
कवि दिनेश सोनी ने नववर्ष पर सुनाया
विगत वर्ष दे गया सभी को शुद्धियों की सौगात।
स्वागत है नव वर्ष मनोरम, यह अभिनव जल जात।
अनुज मनु ने सुनाया
जब सर उठाया मैंने गुनहगार हो गया।
झुक कर सलाम करना सदाचार हो गया।।
गोबर गणेश ने पर्यावरण पर सुनाया
पत्थरों के शहर में छांव दिखा रहे हैं।
नकली पेड़ पौधे लगे गांव दिखा रहे हैं।।
हरियाली जिनको दिखाई नहीं दे रही है ।
उनको हम कागजों में दिखा रहे है।
प्रिया सिंह ने सुनाया
हौसला हार के जानॆ वह किधर जाती है,
एक उम्मीद सरे राह बिखर जाती है।
हमने देखा है की तिनके की तमन्ना लेकर,
एक चिड़िया जो भटकते हुए मर जाती है।।
हैदराबाद से तशरीफ़ लाए
गजलकार सचिन मेहरोत्रा ने सुनाया
चांद को चाहते तो सब है मगर।
मगर चांद होता नहीं सभी के लिए।।
गीतकार वंदना विशेष गुप्ता ने सुनाया
कैसे बेटी का मान बढॆ जब जब घर घर दुशासन हो।
कैसे सीता का हरण न हो जब कदम कदम पर रावण न हो।।
महेश चंद्र गुप्ता महेश ने पर्यावरण को सुनाया
सास लेब तो कइसे जतन कइले।
पेड़ काट तॆ पहले मनन‌ कइलॆ।
डॉक्टर निशा सिंह नवल नॆ सुनाया।
प्रेम पूजा है इबादत है खुदा की
हर किसी पर लुटऻयऻ न करो।।
हिमांशु सक्सेना ने सुनाया
मोहब्बत के मसीहा बन, मोहब्बत को हवा देना।
यॆ धड़कन तुमसे रोशन हो, इसे तुम मत‌ दगा देना।
अजीता गुप्ता ने सुनाया
हर युग की सीख है, रखिए किसी से ना आस।
अपने ही देते सदा अपने ही बनवास।
डॉ. शरद पांडेय‌ “शशांक” ने सुनाया
जयमाल लिए खड़ी जानकी है,
शिव चाप को देखिये तोड़ता कौन है।
अनुरीमा जोशी ने पढ़ा
आज तू कितना जिस तो हो गया है समय।
अरविंद रस्तोगी ने सुनाया
गीतों मेरे आंगन में नित मुस्कानऻ होता है।
इसी बहाने सुख व दुख‌ का आ जाना होता है।
डॉ. सुधा मिश्रा ने सुनाया
अमृत की खोज में दिखा जगत का सत्य।
संजय हमनवा ने सुनाया
ऐसा जतन करे ना कोई सब मिलकर हमनवा
लूटने ना पाए अपना चमन अब कोई।
सरस्वती वंदना कर चुकी कामिनी श्रीवास्तव ने सुनाया
हिम्मत है तो दुनिया में सहारे तमाम है
मंजिल पर‌ पहुंचने के इशारे तमाम है।
कवि सम्मेलऩ/मुशायरे का संचालन कर रहे मनमोहन बऻरऻकोटी ने सुनाया
सच के बंदो का इमान कभी डिगतऻ नहीं।
लबादऻ झूठ का सच पे टिकतऻ नहीं ।।
अध्यक्षता कर रहा है संपत कुमार मिश्र ने ‌सुनाया
रक्त हमारा जो मांगे ना होते तो पूरे अधूरे विकास ना होते
यह देश कभी स्वतंत्रत न होता
जो भारत बीच सुभाष ना होते।
इसके अतिरिक्त जिन कवियों ने काव्य पाठ किया
आशुतोष तिवारी , अलका अस्थानऻ, वदिता पांडेय, निलेश पांडे आदि।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन जाने माने वरिष्ठ कवि, पत्रकार एवं छंदकार शरद पांडेय “शशांक” द्वारा किया गया।

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