पृथ्वीराज जयंती के दूसरे सत्र में वीर रस की कविताओं से गूंजा सभागार
पृथ्वीराज जयंती के दूसरे सत्र में वीर रस की कविताओं से गूंजा सभागार
औरंगाबाद 3/6/24
जिला मुख्यालय औरंगाबाद में पृथ्वीराज स्मृति ट्रस्ट के प्रांगण में पृथ्वीराज चौहान की जयंती समारोह में आयोजित कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में काव्य-संध्या का आयोजन किया गया। ट्रस्ट के अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष डॉ ज्ञानेश्वर सिंह एवं डॉ संजीव रंजन, सचिव स्वर्णजीत कुमार सिंह एवं संयोजक जगदीश सिंह के आह्वान पर काव्य संध्या की अध्यक्षता ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह ने किया जबकि संचालन की भूमिका हिंदी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त सचिव नागेंद्र केसरी ने निभाई। काव्य संध्या में सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी,प्रख्यात कवि डॉ हेरम्ब मिश्र,राष्ट्रीय स्तर के गजलकार हिमांशु चक्रपाणि, हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि विनय मामूली बुद्धि, जनार्दन मिश्र जलज, प्रेम शंकर सिंह प्रेमी, लव कुश प्रसाद सिंह ने शिरकत की। सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने काव्य-संध्या की शुरुआत सरस्वती वंदना से की साथ ही वीर रस से ओत-प्रोत मगही कविता- ”पृथ्वीराज हथीन भारत मां के शान बबुआ” सुनाया तो धनंजय जयपुरी द्वारा आल्हा छंद में- “मस्तक ऊंचा चौड़ी काया अति बलशाली पृथ्वीराज, बचपन से ही करता था वह वीर बांकुरे जैसा काज” नामक प्रस्तुति सुनकर लोग हर्षित हो गए। डॉ हेरम्ब मिश्र ने ”कोटि-कोटि नमन है पृथ्वीराज चौहान सुनाया” तो लोग भाव- विभोर हो गए। प्रेम शंकर प्रेमी ने राजा नारायण सिंह पर काव्य पाठ किया। हिमांशु चक्रपाणि ने-” मेरी कविता छंदों का श्रृंगार नहीं करती,मेरी कविता कविता का व्यापार नहीं करती” नामक रचना का पाठ किया। लवकुश प्रसाद सिंह ने- “पृथ्वीराज ने हराया मोहम्मद गौरी को” गाकर काव्य-पाठ किया तो नागेंद्र केसरी के-” अद्भुत सुनी कहानी मैंने” काव्य-पाठ पर लोगों ने खूब तालियां बजाई।जनार्दन मिश्र जलज ने- मेरी चिलचिलाती धूप है लू का असर है, जाना है प्रियतम के संग मुश्किल सफर है सुनाया।विनय मामूली बुद्धि के हास्य-व्यंग्य पर लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाए उन्होंने चंद्रवरदाई एवं पृथ्वीराज की दोस्ती पर काव्य पाठ किया। ट्रस्ट के द्वारा सभी कवियों को पुष्पहार, प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कवियों ने काव्य संध्या के माध्यम से वीर रस की कविता पढ़कर यह बताने का प्रयास किया कि हमारी सनातन संस्कृति को कितनी गौरवशाली रही है।जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, शिवपूजन सिंह इत्यादि की गरिमामई उपस्थिति रही।