विश्वरंग, हालैण्ड से साझा संसार, वनमाली सृजनपीठ, नई दिल्ली व प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र का ‘साहित्य का विश्वरंग’ अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा आयोजन अंतरराष्ट्रीय लघुकथा अंक, ऑनलाइन, सम्पन्न हुआ।
विश्वरंग, हालैण्ड से साझा संसार, वनमाली सृजनपीठ, नई दिल्ली व प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र का ‘साहित्य का विश्वरंग’ अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा आयोजन अंतरराष्ट्रीय लघुकथा अंक, ऑनलाइन, सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर विश्वरंग के सह निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा कि लघुकथाओं के आस्वाद का सुख निराला है। लघुकथा के माध्यम से कथ्य के धरातल पर, मनुष्य के मनोविज्ञान की बहुत सारी तहें उभर कर आती हैं। ‘साहित्य का विश्वरंग’ आयोजन में प्रवासी जीवन के समाज का बहुत कुछ नया देखने सुनने को मिलता है। मंडलोई जी ने 7,8,9 अगस्त विश्व रंग महोत्सव, मॉरीशस 2024 की विस्तृत जानकारी दी।
इस आयोजन में डॉ सुनीता शर्मा (न्यूजीलैंड), नितिन उपाध्ये (दुबई), महेश दर्पण (भारत), डॉ सोमदत्त काशीनाथ (मॉरीशस) तथा डॉ नीलम जैन (अमेरिका ) ने अपनी अपनी रोचक एवं मार्मिक रचनाएं सुनाई।
साझा संसार नीदरलैंड्स के अध्यक्ष रामा तक्षक ने अपने स्वागत वक्तव्य में, सभी प्रतिभागियों व श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि ‘साहित्य का विश्व रंग’ आयोजन पिछले पांच बरस से लगातार विश्व भर में, प्रवासी भारतीय रचनाकारों को मंच प्रदान कर, सिर जोड़ का काम कर रहा है।
तक्षक ने आगे बताया कि विश्व रंग महोत्सव भारतीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विश्व व्यापी आंदोलन है। जिसके प्रणेता संतोष चौबे जी हैं। बीसवीं सदी में रवीन्द्र नाथ टैगोर भारत में शिक्षा व्यवस्था को खड़ा करने के लिए यूरोपीय देशों की यात्रा कर भारत में शिक्षा के नाम पर चंदा इकट्ठा कर, शांति निकेतन को खड़ा किया था। इस तरह टैगोर ने बीसवीं सदी को लिखा। संतोष चौबे अपने प्रयासों से इक्कीसवीं सदी को लिख रहे हैं।
इस आयोजन का सफल मंच संचालन अमेरिका से विनीता तिवारी ने किया।
रामा तक्षक